Wednesday, May 1, 2019

RPSC (RAS) - प्रकृति एवं प्रक्रिया

Ashok Pradhan     May 01, 2019     No comments

परिचय (Introduction):

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान ज्यादातर अभ्यर्थी राज्य सिविल सेवा (पी.सी.एस.) परीक्षाओं में भी सम्मिलित होते हैं। यह प्रवृत्ति हिंदी भाषी राज्यों के अभ्यर्थियों में अधिकांशत: देखने को मिलती है। राजस्थान मूल के अभ्यर्थियों के अलावा सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों (विशेषकर हिंदी माध्यम) के लिये भी राजस्थान लोक सेवा आयोग (आर.पी.एस.सी.), अजमेर द्वारा आयोजित परीक्षाएँ मुख्य आकर्षण होती हैं। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में अंतर होने के बावजूद सिविल सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की ‘राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (संयुक्त  प्रतियोगी) परीक्षा’ में सार्थक भूमिका होती है, इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इन परीक्षाओं में भी सफल होते हैं।
आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ: 
  • राजस्थान में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से राजस्थान लोक सेवा आयोग (आर.पी.एस.सी.), अजमेर द्वारा किया जाता है। 
  • इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (संयुक्त प्रतियोगी) परीक्षा’ है, जिसे ‘आर.ए.एस.-आर.टी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है।  
आर.ए.एस.-आर.टी.एस. परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया 
परीक्षा की प्रकृति: 
  • आयोग द्वारा आयोजित इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
  1. प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकृति
  2.  
  3. मुख्य परीक्षा - वर्णनात्मक प्रकृति
  4.  
  5. साक्षात्कार - मौखिक
  • वर्ष 2013 से आर.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया है। इसका विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है।  
परीक्षा की प्रक्रिया:
प्रारंभिक परीक्षा की प्रक्रिया:
  • सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है, उसके पश्चात ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया सम्बंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गयी है।   
  • विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।     
  • फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 3 से 4 माह पश्चात प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित की जाती है। 
  • यह प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है। 
  • आयोग द्वारा आयोजित इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।  
  • प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दी गयी ओ.एम.आर. सीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।    
  • वर्ष 2013 में किये गए नवीन संशोधन के पश्चात आयोग की इस प्रारम्भिक परीक्षा में केवल एक प्रश्नपत्र सामान्य ज्ञान एवं सामान्य विज्ञान (वस्तुनिष्ठ) होता है (पूर्व में दो प्रश्नपत्र क्रमशः ‘सामान्य ज्ञान एवं सामान्य विज्ञान’ तथा अभ्यर्थी द्वारा विज्ञप्ति में दिये गये विषयों में से चयनित ‘एक वैकल्पिक विषय’ होते थे )। 
  • प्रारम्भिक परीक्षा के इस नवीन प्रश्नपत्र में प्रश्नों की कुल संख्या- 150 एवं अधिकतम अंक -200 निर्धारित हैं (सभी प्रश्नों के अंक समान होते हैं)। इसका उत्तर अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा निर्धारित तीन घंटे की समय सीमा में देना होता है। 
  • आर.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रत्येक गलत उत्तर के लिये एक तिहाई (1/3) अंक काटे जाते हैं।  
  • यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा, यदि दिये गए उत्तरों में से एक सही भी उत्तर हो, फिर भी उस प्रश्न के लिये उपरोक्तानुसार ही उसी तरह का दण्ड दिया जाएगा। 
  • यदि अभ्यर्थी द्वारा कोई प्रश्न हल नहीं किया जाता है, अर्थात अभ्यर्थी द्वारा उत्तर नहीं दिया जाता है, तो उस प्रश्न के लिये  कोई दण्ड नहीं होगा।   
  • नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान होने के कारण इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 40-50% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत और भी कम हो सकता है।  
  • प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, प्रश्न की भाषा सम्बन्धी किसी भी विवाद की स्थिति में अंग्रेजी भाषा में छपे प्रश्नों को वरीयता दी जाएगी। 
  • प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।  
मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:
  • प्रारम्भिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन राज्य के सात संभागों (जयपुर, अजमेर, भरतपुर, कोटा, बीकानेर, जोधपुर और उदयपुर) में आयोग द्वारा निर्धारित विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है। 
  • वर्ष 2013 में आर.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। पहले मुख्य परीक्षा में दो वैकल्पिक विषय होते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है। 
  • अब मुख्य परीक्षा में चार अनिवार्य प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र और ‘सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ ) होते हैं, इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गयी है। 
  • मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होती है, इसमें संक्षिप्त, मध्यम और दीर्घ शब्द–सीमा वाले प्रश्न पूछे जाते हैं। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गयी उत्तर-पुस्तिका में निर्धारित स्थान पर निर्धारित शब्दों में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है। 
  • नवीन संशोधनों के पश्चात आर.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा अब कुल 800 अंकों की होती है, जिसमें प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये अधिकतम 200-200 अंक निर्धारित किये गए। 
  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। 
  • पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे। 
  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा। 
साक्षात्कार की प्रक्रिया: 
मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।  साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर म...
  • मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है। 
  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है। 
  • आर.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किये गये हैं।  
  • मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।    
  • सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात अन्तिम रुप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।

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