स्कूल विद्यार्थियों के लिये टिप्स


1) तैयारी के लिये बहुत जल्दबाजी न करें
  • आप और आपके पेरेंट्स के लिये हमारा सबसे पहला सुझाव यही है कि आप सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिये बहुत जल्दबाजी न करें। ध्यान रखें कि यह परीक्षा सिर्फ पढ़ाई-लिखाई की परीक्षा नहीं है बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व की परीक्षा है और व्यक्तित्व का सहज विकास करने के लिये बच्चों को सहजता से बचपन गुज़ारना चाहिये। 
  • अगर आप आठवीं या उससे छोटी क्लास में पढ़ते हैं तो अभी आपको इस परीक्षा की तैयारी के लिये अलग से कुछ भी पढ़ने की ज़रूरत नहीं है। आप बस अपनी क्लास की पढ़ाई अच्छे से कीजिये और खूब खेलिये-कूदिये। अगर कुछ करने का बहुत मन हो तो कभी-कभी इस साइट पर आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ते/देखते रहिये।
  • अगर आप 9वीं से 12वीं क्लास के विद्यार्थी हैं तो अपनी तैयारी की थोड़ी बहुत शुरुआत कर सकते हैं। जैसे, आपको अख़बार पढ़ने और समझने की कोशिश करनी चाहिये। इसके अलावा, अपनी लेखन शैली को बेहतर बनाने की प्रैक्टिस करना भी बहुत ज़रूरी है। इन सुझावों पर विस्तृत चर्चा आगे की टैब्स में की गई है।
2) अपना पाठ्यक्रम गंभीरता से पढ़ें
  • आप स्कूल में चाहे किसी भी क्लास में पढ़ते हों, आपके लिये सबसे ज़रूरी सुझाव यही है कि आप अपना पाठ्यक्रम ठीक से पढ़ें। 
  • आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का कम से कम 25-30 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जो एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों को गहराई से पढ़ने से खुद ही तैयार हो जाता है। इसलिये, यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी पढ़ाई में कोताही न करें। 
3) लेखन शैली सुधारने के लिये प्रैक्टिस करें
यह सुझाव मुख्य रूप से 9वीं और उससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है। छठी से आठवीं क्लास के बच्चे भी चाहें तो हल्की-फुल्की कोशिश कर सकते हैं। गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अंततः अच्छी लेखन शैली से तय होती है और अच्छी लेखन शैली का...
  • यह सुझाव मुख्य रूप से 9वीं और उससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है। छठी से आठवीं क्लास के बच्चे भी चाहें तो हल्की-फुल्की कोशिश कर सकते हैं।
  • गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अंततः अच्छी लेखन शैली से तय होती है और अच्छी लेखन शैली का विकास निरंतर अभ्यास से लंबी अवधि में होता है। अगर आप स्कूल के दिनों से ही लेखन अभ्यास शुरू कर देंगे तो 21-22 वर्ष की उम्र तक आते-आते आपकी लेखन शैली परिपक्वता के उस स्तर को ज़रूर छू लेगी जिसकी अपेक्षा इस परीक्षा में की जाती है।
  • लेखन शैली को विकसित करने के लिए आप कई आसान उपाय अपना सकते हैं। सबसे आसान उपाय यह है कि आप किसी अख़बार या पत्रिका में प्रकाशित 1000-1500 शब्दों का कोई लेख ध्यान से पढ़ें और फिर लगभग 250-300 शब्दों में उसका सार लिखें। इस अभ्यास से आपकी लेखन शैली के साथ-साथ संक्षेपण-कौशल में भी सुधार होगा जो इस परीक्षा में प्रभावी भूमिका निभाता है।
  • दूसरा तरीका है कि आप हर सप्ताह किसी विषय पर लगभग 500 शब्दों में निबंध लिखने का अभ्यास करें। निबंध लेखन के अभ्यास से न सिर्फ आप निबंध के प्रश्नपत्र में अच्छे अंक ला सकेंगे बल्कि आपकी विश्लेषणात्मक व रचनात्मक चिंतन की क्षमता भी बढ़ेगी। निबंध के विषय आप अपने किसी भी अध्यापक से पूछ सकते हैं। दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' में हर माह निबंध प्रतियोगिता के लिये एक विषय दिया जाता है। आप चाहें तो उस प्रतियोगिता में भी भाग ले सकते हैं।
  • लेखन शैली की उत्कृष्टता बहुत हद तक आपके शब्द-चयन पर निर्भर करती है, इसलिये आपको अपना शब्द-संसार समृद्ध करने के लिये प्रयासरत रहना चाहिये। इसका सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि आप नई-नई किताबें व पत्रिकाएँ पढ़ें और जहाँ कहीं भी कोई नया शब्द मिले, उसे नोट कर लें। इन नोट किये हुए शब्दों को दो-चार बार आपको यत्नपूर्वक प्रयोग में लाना पड़ेगा, फिर ये आपके शब्द-संसार में सहज रूप से शामिल हो जाएंगे।
  • इसके अलावा, आप एक काम और कर सकते हैं। जब भी आपको कोई प्रभावशाली कविता, सूक्ति या कथन मिले; उसे एक डायरी में नोट करते चलें। लेखन-शैली का चमत्कार काफी हद तक इस बात पर भी टिका होता है कि आप प्रभावशाली कथनों का सटीक प्रयोग कर पाते हैं या नहीं। अभी से यह अभ्यास शुरू कर देंगे तो सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से पहले आपकी भाषा निस्संदेह धारदार हो जाएगी।
4) सह-पाठ्य गतिविधियों में भाग लें
यह सुझाव किसी भी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है। आपको हर क्लास में स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ, जहाँ तक संभव हो, सह-पाठ्य गतिविधियों में भाग लेना चाहिये। ध्यान रखें कि सिविल सेवा परीक्षा ज्ञान से अधिक व्यक्तित्व की परीक्षा है और व्यक्तित्व विकसित ...
  • यह सुझाव किसी भी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है। आपको हर क्लास में स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ, जहाँ तक संभव हो, सह-पाठ्य गतिविधियों में भाग लेना चाहिये।
  • ध्यान रखें कि सिविल सेवा परीक्षा ज्ञान से अधिक व्यक्तित्व की परीक्षा है और व्यक्तित्व विकसित करने के लिये किताबें पढ़ना काफी नहीं है। व्यक्तित्व का विकास भिन्न-भिन्न तथा जटिल परिस्थितियों का सामना करने से होता है। इसलिये, स्कूल की पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को चाहिये कि वे ज़्यादा से ज़्यादा सह-पाठ्य गतिविधियों में हिस्सा लें।
  • सह-पाठ्य गतिविधियाँ कई तरह की होती हैं। बेहतर होगा कि आप उनमें भाग लें जो आपकी शारीरिक-मानसिक क्षमताओं का खूब विकास करें। उदाहरण के तौर पर, अगर आप डिबेट (वाद-विवाद) प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे तो आपकी तर्क-क्षमता और अभिव्यक्ति-क्षमता में इजाफा होगा जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में खूब काम आएगा। मंच की किसी भी प्रतियोगिता या गतिविधि में उतरेंगे तो आत्मविश्वास बढ़ेगा। किसी टीम वाले खेल (जैसे क्रिकेट या फुटबॉल) में हाथ आज़माएंगे तो शारीरिक लाभ के साथ-साथ टीम मैनेजमेंट और लीडरशिप के गुर भी समझ आएंगे। सबसे अच्छा यह होगा कि आप डिबेट जैसी एक मंचीय गतिविधि में जमकर भाग लें और किसी एक टीम स्पोर्ट (जैसे क्रिकेट) में थोड़ा बहुत समय गुज़ारें।
5) आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ें/देखें
  • यह सुझाव मुख्य रूप से 9वीं और उससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है। छठी से आठवीं क्लास के बच्चे भी चाहें तो यह कर सकते हैं।
  • आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ने या देखने से नए उम्मीदवारों को प्रेरणा मिलती है और तैयारी से जुड़े कई पक्षों पर उनकी समझ स्पष्ट हो जाती है। इसलिये, आपको चाहिये कि ज़्यादा से ज़्यादा टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़ें और देखें।
  • आप आई.ए.एस. टॉपर्स के इंटरव्यू किसी पत्रिका या वेबसाइट में देख सकते हैं। दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' में हर माह किसी न किसी आई.ए.एस. या पी.सी.एस. टॉपर का विस्तृत इंटरव्यू छपता है।
  • एक बात का ध्यान रखें। हर टॉपर की सफलता के मूल में कुछ ऐसे सूत्र होते हैं जो आपके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते हैं। इसलिये, आपको किसी टॉपर का अंध-अनुकरण नहीं करना है। उसकी राय पढ़िये/सुनिये, फिर अपने दिमाग से उस राय का विश्लेषण-मूल्यांकन कीजिये और उतनी ही बातें आत्मसात कीजिये जितनी आपको ठीक लगती हैं। उदाहरण के लिये, कोई टॉपर कह सकता है कि वह रात भर पढ़ता था और दिन में सोता था। हो सकता है कि यह दिनचर्या उसके लिये सहज रही हो पर आपके लिये सहज न हो। अतः टॉपर्स की वही राय मानिये जो आपके व्यक्तित्व के अनुकूल हो। इसी तरह, कोई टॉपर कह सकता है कि हर रोज़ तीन-चार विषय एक साथ पढ़ने चाहियें जबकि हो सकता है कि आपकी सहजता एक बार में एक विषय पढ़ने में हो। ऐसी स्थिति में भी आपको अपने स्वभाव के अनुसार ही टॉपर की सलाह माननी चाहिये।
6) अख़बार तथा पत्रिकाएँ पढ़ने में रुचि विकसित करें
  • यह सुझाव भी 9वीं और उससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिये है, पर छठी से आठवीं क्लास के बच्चे भी चाहें तो थोड़ी-बहुत कोशिश कर सकते हैं।
  • सिविल सेवा परीक्षा में करेंट अफेयर्स की भूमिका बहुत अधिक है। मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के पेपर में लगभग आधे प्रश्न किसी न किसी रूप में करेंट अफेयर्स से जुड़े होते हैं। इसलिये, इस परीक्षा में वे लोग बेहतर साबित होते हैं जिनकी अख़बार तथा पत्रिकाएँ पढ़ने में स्वाभाविक रुचि रही होती है।
  • सबसे पहले, यह ज़रूरी है कि आप सही अख़बारों और पत्रिकाओं को चुनें। इस परीक्षा के लिये सबसे अच्छा अख़बार 'द हिन्दू' माना जाता है पर एक तो वह सिर्फ अंग्रेज़ी में उपलब्ध है, और दूसरे, उसकी भाषा बहुत आसान नहीं है। इसलिये स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को 'द हिन्दू' पढ़ने का दबाव नहीं लेना चाहिये। हाँ, अगर अंग्रेज़ी पर आपकी मज़बूत पकड़ है और 'द हिन्दू' पढ़ने में आप सहज हैं तो आपको निस्संदेह वही पढ़ना चाहिये। उसके अलावा, अंग्रेज़ी में 'इंडियन एक्सप्रेस' और हिंदी में 'हिंदुस्तान' तथा 'दैनिक जागरण' (राष्ट्रीय संस्करण) से भी मदद ली जा सकती है। स्कूल के स्तर पर आप इनमें से कोई एक अख़बार देखते रहें, इतना ही काफी है।
  • अख़बार पढ़ते हुए दूसरी समस्या यह आती है कि उसमें क्या पढ़ें और क्या छोड़ें? स्कूल के बच्चों के लिये इतना ही काफी है कि वे मुख्य समाचारों को ठीक से पढ़ने और समझने की चेष्टा करें। सिर्फ राजनीतिक समाचार न पढ़ें बल्कि आर्थिक, सामाजिक, खेल संबंधी और अंतर्राष्ट्रीय समाचार पढ़ने की भी कोशिश करें। जितना समझ में आ जाए, उतना ठीक है; पूरा अख़बार समझने की ज़िद न करें। 
  • 11वीं और 12वीं क्लास के बच्चे अगर किसी कारण अख़बार न पढ़ पा रहे हों तो वे करेंट अफेयर्स की कोई अच्छी मासिक पत्रिका पढ़कर काम चला सकते हैं। इस नज़रिये से आप दृष्टि की मासिक पत्रिका 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' या 'Vision IAS करेंट अफेयर्स को चुन सकते हैं। ये पत्रिका सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है।
7) 11वीं कक्षा में उपयुक्त विषय चुनें
  • 11वीं कक्षा में विद्यार्थियों के सामने एक मुश्किल सवाल यह होता है कि वे आगे की पढ़ाई के लिये कौन सा विषय-समूह चुनें? उनके पास मुख्यतः चार विकल्प होते हैं - नॉन-मैडिकल, मैडिकल, कॉमर्स और आर्ट्स? किसी-किसी स्कूल/कॉलेज में इनमें से दो या तीन विकल्प ही उपलब्ध होते हैं।
  • अगर आपका सपना आई.ए.एस. बनने (या किसी और सिविल सेवा जैसे आई.पी.एस. में जाने) का है तो यह ज़रूरी नहीं है कि आप 11वीं कक्षा से ही उसके अनुरूप विषयों का चयन करें। 11वीं-12वीं कक्षाओं के स्तर पर आप जो भी विषय-समूह पढ़ेंगे, वह किसी न किसी रूप में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में ज़रूर मददगार साबित होगा। 
  • बेहतर होगा कि आप एक वैकल्पिक कॅरियर को ध्यान में रखकर अपने विषय चुनें। उदाहरण के लिये, अगर आपको आई.ए.एस. के बाद इंजीनयरिंग का कॅरियर ठीक लगता है तो आप नॉन-मैडिकल स्ट्रीम चुनें। अगर डॉक्टर बनने का सपना है तो मैडिकल स्ट्रीम; चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की इच्छा है तो कॉमर्स और सामाजिक विषयों में अनुसंधान आदि करने की इच्छा है तो आर्ट्स स्ट्रीम आपके लिये बेहतर होगी। चयन का यह तरीका इसलिये भी ठीक है क्योंकि 14-15 वर्ष की उम्र में हम अपने भविष्य के बारे में पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सकते। संभव है कि ग्रैजुएशन होते-होते कॅरियर को लेकर हमारी धारणा बदल जाए। इसलिये, बेहतर यही होगा कि आप अपने विषय-समूह का चयन अपनी रुचियों और कॅरियर विकल्पों को देखकर करें, सिविल सेवा परीक्षा के नज़रिये से नहीं।
  • फिर भी, यदि आपने ठान ही लिया है कि आपको सिर्फ और सिर्फ सिविल सेवा परीक्षा को ध्यान में रखकर विषयों का चयन करना है और किसी वैकल्पिक कॅरियर पर ध्यान नहीं देना है तो बेहतर होगा कि आप आर्ट्स के विषय चुनें। आर्ट्स के विषयों में भी प्राथमिकता भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र तथा राजनीति-शास्त्र को दी जानी चाहिये। ये सभी विषय सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम में बड़ा हिस्सा रखते हैं। अगर आप इन्हें शुरू से पढ़ेंगे तो निस्संदेह तैयारी के अंतिम दौर में सहजता महसूस करेंगे।

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