क्या हैं लोकपाल और लोकायुक्त? लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की। ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक दर्जे वाले वैधानिक निकाय हैं। ये Ombudsman का कार्य करते हैं और कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं। हमें ऐसी संस्थाओं की आवश्यकता क्यों है?... Read More »
क्या है? अभिरूचि किसी क्षेत्र विशेष से संबंधित कौशल को सीखने की अथवा ज्ञानार्जन की जन्मजात या अर्जित क्षमता है। आमतौर पर अभिरूचियाँ जन्मजात होती हैं लेकिन वे अर्जित भी हो सकती हैं। सिविल सेवा के लिये अभिरूचि (Aptitude for Civil Services) एक अच्छे सिविल सेवक में निम्नलिखित अभिरूचियाँ होनी चाहिये: (i) भाषा पर सूक्ष्म पकड़ ताकि निर्णयन प्रक्रिया के समय नोटिंग और... Read More »
मॉटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के आधार पर 1921 से संसदीय समितियाँ अस्तित्व में आई थीं, जिन्हें निरंतर व्यापक रूप से प्रतिष्ठापित किया जाता रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-105 में भी इन समितियों का ज़िक्र मिलता है। अपनी प्रकृति के आधार पर संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं- 1. स्थायी समिति: ये स्थायी एवं नियमित समिति होती है, जिसका गठन संसद के अधिनियम के उपबंधों... Read More »
भारत में पहली शताब्दी से पूर्व ही 6 आस्तिक व 3 नास्तिक दार्शनिक मतों का प्रतिपादन हो चुका था। प्राचीन भौतिक दर्शन प्रणेता उच्छेदवादअजित केश कम्बलिन अक्रियावादीपूरण कश्यप नित्यवादीपकुद कच्चायन नियतिवादीमक्खलि गोशाल अनिश्चयवादीसंजय वेलट्पुत्त आस्तिक मत को षडांग दर्शन सिद्धांत कहते हैं जिसमें सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत शामिल हैं। नास्तिक मत में बौद्ध, जैन तथा चार्वाक प्रमुख हैं, इसे भौतिकतावादी... Read More »
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