अवधारणा
- मूल्य शब्द से तात्पर्य किसी भौतिक वस्तु अथवा मानसिक अवस्था के उस गुण से है, जिसके द्वारा मनुष्य के किसी उद्देश्य अथवा लक्ष्य की पूर्ति होती है।
- मूल्यों का व्यक्ति के आचरण, व्यक्तित्व तथा कार्यों पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।
मूल्यों की विशेषताएँ
- मूल्य के दो पहलू होते हैं। प्रथम विषय-वस्तु और दूसरा तीव्रता।
- मूल्य कुछ अंश तक आंतरिक भाव होते हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तित्त्व में प्रतिबिम्बित होते हैं।
- क्षेत्र विशेष के संदर्भ में मूल्य के महत्त्व में अंतर पाया जाता है।
- मूल्य अमूर्त होते हैं।
- मूल्य सीखे जाते हैं।
मूल्यों के प्रकार
दृष्टिकोण के आधार पर
- सकारात्मक मूल्य, जैसे- अहिंसा, शांति, धैर्य आदि।
- नकारात्मक मूल्य, जैसे- हिंसा, अन्याय, कायरता आदि।
उद्देश्य के आधार पर
- साध्य मूल्य- वे सभी वस्तुएँ या अवस्थाएँ, जो स्वयं में शुभ होती हैं।
- साधन मूल्य- जो अपने आप में शुभ न होकर किसी अन्य वस्तु के साधन के रूप में शुभ होता है।
विषय क्षेत्र के आधार पर
- सामाजिक मूल्य, जैसे- अधिकार, कर्त्तव्य, न्याय आदि।
- मानव मूल्य , जैसे- नैतिक मूल्य, आध्यात्मिक मूल्य आदि।
- नैतिक मूल्य, जैसे- न्याय, ईमानदारी आदि।
- आध्यात्मिक मूल्य, जैसेे- शांति, प्रेम, अहिंसा आदि।
- भौतिक मूल्य, जैसे- भोजन, मकान, वस्त्र आदि।
- सौंदर्यात्मक मूल्य, प्रकृति, कला एवं मानवीय जीवन के साैंदर्य को कहते हैं।
- मनोवैज्ञानिक मूल्य, जैसे- प्रेम, दया आदि।
कार्य क्षेत्र के आधार पर
- राजनीतिक मूल्य, जैसे- ईमानदारी, सेवा भाव आदि।
- न्यायिक मूल्य , जैसे- सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता आदि।
- व्यावसायिक मूल्य, जैसे- जवाबदेही, ज़िम्मेदारी, सत्यनिष्ठा आदि।
मूल्य एवं अभिवृत्ति में संबंध
समानताएँ
- दोनों ही सीखे जाते हैं।
- दोनों ही प्राय: स्थायी होते हैं।
- दोनों में ही व्यक्ति के व्यवहार को प्रेरित करने की क्षमता होती है।
असमानताएँ
- अभिवृत्ति प्राय: मूल्यों से ही उत्पन्न होती है।
- विशिष्ट परिस्थिति में अभिवृत्ति मूल्य को निर्धारित करती है।
- मूल्य तथा अभिवृत्ति परस्पर संबंधित हैं, इसलिये मूल्यों में परिवर्तन होने से अभिवृत्ति भी स्वत: बदलने लगती है।
- कभी-कभी मूल्यों द्वारा अभिवृत्ति एवं व्यवहार का संबंध निर्धारित होता है। किसी विशेष मूल्य के कारण व्यक्ति का व्यवहार उसकी अभिवृत्ति से असंगत हो सकता है।
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